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खंड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.भाग, टुकड़ा, हिस्सा।
  • मुहावरा--खंड-खंड करणौ--चकनाचूर करना।
2.देश, मुल्क (डिं.को.)
  • उदा.--रांम-रांम रटतौ रहै, आठूं पोहर अखंड। सुमिरण सा सोदा नहीं, निरख देख नव खंड।--ह.र.
3.रत्नों का एक दोष विशेष.
4.शक्कर।
  • उदा.--खायौ जाय खंड में, न खायौ जाय गुळ में।--ऊ.का.
5.काला नमक.
6.दिशा.
7.वन (ह.नां., नां.मा.)
8.मंजिल.
9.महादेव (क.कु.बो., नां.मा.)
10.ग्रंथ का परिच्छेद या विभाग।
  • उदा.--पदमनाभ पंडित मति कही, बीजा खंड समापति हुई।--कां.दे.प्र.
11.तलवार.
12.माँस (क्षेत्रीय)
13.नौ की संख्या--बोध* (डिं.को.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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