सं.पु.
सं.
1.पक्षी (डिं.को.) वि.वि.--इस शब्द के आगे पत, पति जोड़ने से गरुड़ का अर्थ होता है।
यौ.
खगईसवर खगपथ, खगराज, खगराव, खगांधर, खगांधीस, खगांराज, खगाधिप, खगिंद्र, खगेंद्र, खगेसर।
9.सूर्य (क.कु.बो., डिं.को.) [सं.खड्ग]
10.खड्ग, तलवार (डिं.को.)
- उदा.--फौज घटा खग दांमणी, बंद लगइ सर जेम। पावस पिउ विण वल्लहा, कहि जीवीजइ केम।--ढो.मा.
यौ.
खगखेल, खगचाळौ, खगझल्ल, खगधर, खगमेळ, खगवाट, खगवाहौ [रा.]
11.बाण, तीर (अ.मा.)
- उदा.--खगां झाट समराट लोहलाठ भांजण खळां, तीख खंत्रवाट घर वाट तोरा।--रावत जोधसिंह रौ गीत 12 सूअर के निकले हुए दाँत जिनसे वह शत्रु पर प्रहार करता है।
- उदा.--राव रा घोड़ा रै तंग री ठौड़ खग लगायौ सो घोड़ौ च्यारूं पगां ऊपड़ गयौ।--डाढाळा सूर री बात
13.भोजन चबाने के ऊँट के दाँत विशेष जो आगे के दाँतों के और डाढ़ों के बीच में होते हैं.