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खग  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.पक्षी (डिं.को.) वि.वि.--इस शब्द के आगे पत, पति जोड़ने से गरुड़ का अर्थ होता है।
यौ.
खगईसवर खगपथ, खगराज, खगराव, खगांधर, खगांधीस, खगांराज, खगाधिप, खगिंद्र, खगेंद्र, खगेसर।
2.मोर (नां.मा.)
3.देवता (डिं.को.)
4.बादल.
5.तारा.
6.चंद्रमा.
7.ग्रह.
8.गरुड़ (अ.मा.)
9.सूर्य (क.कु.बो., डिं.को.) [सं.खड्‌ग]
10.खड्‌ग, तलवार (डिं.को.)
  • उदा.--फौज घटा खग दांमणी, बंद लगइ सर जेम। पावस पिउ विण वल्लहा, कहि जीवीजइ केम।--ढो.मा.
यौ.
खगखेल, खगचाळौ, खगझल्ल, खगधर, खगमेळ, खगवाट, खगवाहौ [रा.]
11.बाण, तीर (अ.मा.)
  • उदा.--खगां झाट समराट लोहलाठ भांजण खळां, तीख खंत्रवाट घर वाट तोरा।--रावत जोधसिंह रौ गीत 12 सूअर के निकले हुए दाँत जिनसे वह शत्रु पर प्रहार करता है।
  • उदा.--राव रा घोड़ा रै तंग री ठौड़ खग लगायौ सो घोड़ौ च्यारूं पगां ऊपड़ गयौ।--डाढाळा सूर री बात
13.भोजन चबाने के ऊँट के दाँत विशेष जो आगे के दाँतों के और डाढ़ों के बीच में होते हैं.
14.रज, धूलि (अ.मा.)
15.गिद्धनी (डिं.को.)
रू.भे.
('खग्ग')


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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