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खत  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.खत
1.पत्र, चिट्ठी (यौ.खतकिताबत)
2.लिखावट।
  • उदा.--दरसावै जग नूं दया, पाप उठावै पोट। हित में चित में हाथ में, खत में मत में खोट।--बां.दा.
3.दस्तावेज, ऋणपत्र।
  • मुहावरा--1.खत लिखणौ--दस्तावेज लिख कर रुपया उधार लेना.
  • मुहावरा--2.खत फाड़णौ--कर्जा चुका देना।
4.दाढ़ी, दाढ़ी के बाल। [सं.क्षिति, प्रा.खिति]
5.पृथ्वी, जमीन (डिं.को.)
6.क्षत्रियत्व।
  • उदा.--पेखै आप तणा पुरसोतम, रोहणीयाळ तणे बळ रांण। खत बेचियौ जठै अनखत्रियां, खत राखियौ जठै खूमांण।--दुरसौ आढ़ौ
7.घाव, जख्म। [रा.]
8.मकानों की छतों के नीचे सुंदरता के लिये चतुर्भुजाकार की रेखा।
[सं.क्षत]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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