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खता  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
अ.खता
1.कसूर, अपराध।
  • उदा.--वणक खता रा कांम में, ओ दरसावै खैर। नाई नूं दीधी मुहर, बाळण टाकर वैर।--बां.दा.
2.धोखा, फरेब.
3.भूल-चूक, गलती.
  • उदा.--झांमर राड़ हुई जद सारा सिरदारां री असवारी में देसी घोड़ा हुता, उवां खता कीवी।--बां.दा.ख्यात
4.धक्का.
  • उदा.--कोपिया 'मांन' सूं जोर चालै किसौ, पहूतां अंत विण खता पाड़ै।--गोपाळ चरड़ाउत
5.दंड, सजा.
  • उदा.--'फता' जिसौ धणी कौ फबही, खता न देतौ खून खरै।--अज्ञात
6.झगड़ा-फिसाद।
  • उदा.--असली री ओलाद, खून कर्‌यां न करै खता। वाहे वदवद वाद, रोढ़ दुलातां राजिया।--कृपाराम बारहठ (खिड़िया)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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