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खयाल  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
अ.ख़याल
1.देखो 'ख्याल' (रू.भे.)
  • उदा.--है हिरस जोधपुर हरन हाल, खालसौ करन खाली खयाल।--ऊ.का.
2.एक विशिष्ट गायकी। इस गायकी में राग को अपने विशिष्ट रूप में पूर्ण स्वतंत्रता से विकसित किया जाता है। इसके दो ही भाग हैं स्थाई एवं अन्तरा। इसमें क्षुद्रतान एवं गिटकरी का प्रयोग होता है। ख्याल दो प्रकार के होते हैं--छोटा एवं बड़ा। आलाप-प्रधान एवं विलंवित लय में बड़ा ख्याल एवं तान-प्रधान एवं द्रुतलय में छोटा ख्याल गाया जाता है।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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