सं.पु.
सं.
1.गधा (देखो 'गद्धौ')
- कहावत--खर घघ्घू मूरख पसू, सदा सुखी प्रिथिराज--गधा, उल्लू, पशु और मूर्ख सदा सुखी रहते हैं। मूर्ख व्यक्ति को प्रपंचों में नहीं पड़ना पड़ता और न लोग घेरे रहते हैं। उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं होती। मूर्ख व्यक्ति के लिये।
4.रावण का भाई एक राक्षस (रांमकथा)
7.साठ संवत्सरों में से 25वाँ संवत्.
8.छप्पय छंद का बीसवाँ भेद जिसमें 51 गुरु और 50 लघु से 101 वर्ण या 152 मात्राएं होती हैं। (र.ज.प्र.) वि.--