HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

खांड  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.खंड
बिना साफ की हुई चीनी, कच्ची शक्कर।
  • उदा.--विणजारी ए लोभण गुड़ डळियां में जाय, चिमठ्‌यां रे चिमठ्‌यां जावै खांडड़ी।--लो.गी.
  • कहावत--1.खांड खायां गांड गळै--अधिक मीठा नहीं खाना चाहिये.
  • कहावत--2.खांड गळै जद सगळा आय ज्यावै, गांड गळै जद कोई कौ आवै नी--खाने में या संपत्ति में सब साथ देते हैं किन्तु कष्ट में या विपत्ति आने पर कोई साथ नहीं देता.
  • कहावत--3.खांड में खायौ जाय ना कोई गुळ में खायौ जाय--किसी भी प्रकार वश में न किये जा सकने पर।
अल्पा.
खांडड़ी)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची