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खीर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.क्षीर
1.दूध (अ.मा.) सं.स्त्री.--
2.दूध में चावल डाल कर पकाया हुआ मीठा खाद्य पदार्थ। चावल के स्थान पर कोई दूसरा खाद्य पदार्थ यथा आलू, शकरकन्द, प्याज आदि भी काम में लिये जा सकते हैं। क्रि.प्र.--काणी, पकाणी, पुरसणी।
  • कहावत--1.खीमला-खीमला! खीर मीठूं, खाये जणाये खबर--खीमले-खीमले! खीर मीठी, तो खाये जिसे स्वाद का ज्ञान; वास्तविक उपयोग किये बिना किसी वस्तु के गुण-दोष नहीं जाने जाते.
  • कहावत--2.खीर में मूसळ--असंगत साथ, योग्य या समुचित वस्तुएं ही एक दूसरे के साथ शोभा देती हैं।
3.पानी.
4.आर्यगीत या खंधांण (स्कंधक) का भेद विशेष।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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