सं.पु.
सं.
1.चौपायों के पैर की कड़ी टाप जो बीच में से फटी होती है। गाय, भैंस आदि सींग वाले चौपायों के पैर का निचला छोर जो खड़े होने पर पृथ्वी पर पड़ता है। सफ। (अल्पा.खुरड़ौ)
2.नख नामक गंध द्रव्य। [रा.]
3.पैर, चरण।
- उदा.--मन जांणै चढूं हाथियां माथै, खुर रगड़ंतां जनम खवै। नर री चीती बात हुवै नह, हर री चीती बात हुवै।--ओपौ आढ़ौ
4.तीर, बाण (अ.मा., डिं.नां.मा.)