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खेड़
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.विशाल भोज.
2.खेत की जुताई.
3.दूरी या मंजिल तय करने की क्रिया या भाव।
उदा.--
विजौ हरराज रौ अरु सूरौ, ए नीसरिया सू किता एक दिनां सूं
खेड़
कर अजांणजक आया।--द.दा.
4.एकत्रित करने की क्रिया या भाव।
उदा.--
बेटा नरसींघदास भी घणौ बुरौ मांनियौ, काढ़ दीयौ। कह्यौ 'मोनुं मुंहडौ मत दिखावै।' तिण ऊपर चूंडावतां रा साथ सुं मेघ तेड़ा मेलिया, बड़ी
खेड़
करी। बड़ा-बड़ा राजपूत ठाकुर चूंडावत आय भेळा हुवा।--नैणसी
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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