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शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.अनुसंधान, तलाश, शोध।
  • उदा.--देस बिगाड़्‌यौ राव रौ, फेर विनासी फौज। डर बैठां कांसूं हुवै, राजा लाग्या खोज।--डाढाळा सूर री बात
2.पदचिह्न।
  • उदा.--परतख जंबक पेखियां, कोय न जावै भाग। सीहां केरा खोज सूं, मांनीजै डर माग।--बां.दा.
  • कहावत--मैंगळ हंदा खोज में, सब ही खोज समाय--हाथी के पदचिह्न में दूसरे सब पद-चिह्न समा जाते हैं। कोई बड़ा कार्य या प्रभाव छोटे-मोटे कार्यों या प्रभावों को अपने में समा लेता है।
3.चिह्न, निशान, पता।
  • मुहावरा--खोज जाणौ--
  • मुहावरा--1.वंश निर्मूल होना, वंश या कुल काशा होना.
  • मुहावरा--2.खोज मिटाणौ--नष्ट करना, नाश करना।
क्रि.प्र.--करणी, लागणी, होणी। सं.पु.--
क्रि.प्र.--देखणौ, पड़णौ, मिळणौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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