सं.पु.
सं.गंडक
1.गांठ जो किसी रस्सी या धागे में लगाई जाय.
2.वह बटदार तागा जिसमें मंत्र पढ़ कर गांठ लगाई जाती है। इसे लोग प्रायः रोग और भूत-प्रेत की बाधा या पीड़ा दूर करने के लिये गले में बांधते हैं.
3.वह ताबीज जो मंत्रादि से तैयार किया गया हो.
4.घोड़े की गर्दन के साथ कसा जाने वाला तंग।