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गरम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
फ़ा.गर्म या सं.धर्म
1.जिसको स्पर्श करने पर जलन का अनुभव हो, उष्ण। क्रि.प्र.--करणौ, होणौ।
  • मुहावरा--1.गरमचोट--हाल की लगी चोट, ताजा घाव.
  • मुहावरा--2.गरम मांमलौ--हाल की घटना, नई घटना, संगीन मामला।
यौ.
गरमागरम। विलो.--ठंडौ।
2.तीक्ष्ण, उग्र, तेज। क्रि.प्र.--करणौ, होणौ।
  • मुहावरा--1.गरम करणौ--क्रोधित करना, उत्तेजित करना, उकसाना.
  • मुहावरा--2.गरम होणौ--क्रुद्ध होना, आवेश में आना.
  • मुहावरा--3.मिजाज गरम होणौ--क्रोध आना। विलोम--सांत।
3.जिसका गुण उष्ण हो, जिसके सेवन से गर्मी बढ़े।
यौ.
गरम कपड़ौ, गरम मसालौ।
4.उत्साहपूर्ण, आवेशपूर्ण।

मूढ़, गरम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.वह गर्भ जो विकृत हो गया हो।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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