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गाय  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.गौ
सींग वाला एक सीधा-सादा मादा मवेशी जिसे लोग दूध व बछड़े के लिये पालते हैं। इसके नर को साँड या बैल कहते हैं। पर्याय.--अगना, अरजुनी, उसा, उश्रा, कपळा, कवळी, गऊ, तंबा, त्रंबा, दहव्रन, देवधन, धेन, नलंपिका, निलयका, माहा, माहेयी, रोहिणी, सींगाळी, सुरभी, सुरह, सुरै, सौरभेई, स्रंगणी।
  • मुहावरा--1.गाय रा भैंस हेटै नै भैंस रा गाय हेटै करणा--इधर का उधर करना, गड़बड़ करना.
  • मुहावरा--2.गाय री तरह कांपणौ--बहुत भयभीत हो जाना.
  • मुहावरा--3.गाय होणौ या अल्ला री गाय होणौ--बहुत सीधा होना।
  • कहावत--1.गाय घास सूं भायेली करै तो खावै कांई--गाय यदि घास से ही प्रेम करे तो फिर खाये क्या। निरन्तर प्रयोग या उपयोग में आकर खप जाने वाली वस्तुओं का मोह व्यर्थ है.
  • कहावत--2.गाय दूयनै गधा नै पावणौ--गाय दुह कर गधों को पिलाना। अति कठिन परिश्रम से उपार्जन कर व्यर्थ में अपव्यय करना। उपार्जित धन ऐसे व्यक्तियों पर खर्च करना जिससे कुछ भी लाभ न हो.
  • कहावत--3.गाय दू यनै गिंडकां आगै क्यूं ढोळणौ--देखो 'कहावत सं.2'.
  • कहावत--4.गाय नै हळ में जोतणी--गाय को बैल के स्थान पर हल में जोतना। निर्बल या अयोग्य व्यक्ति को कठिन काम सौंपना.
  • कहावत--5.कोई गाय में न बळद में--न गाय जैसाऔर न बैल जैसा। निरर्थक एवं निकम्मे व्यक्ति के प्रति.
  • कहावत--6.गाय रै भैंस कांई लागै--गाय और भैंस का परस्पर क्या संबंध? उनके प्रति जिनमें कोई परस्पर संबंध न हो.
  • कहावत--7.गायां ऊछरगी, पोठा लारै छोडगी--गायें जंगल में चरने चली गईं, पीछे केवल गोबर मात्र छोड़ गई। सज्जन व्यक्तियों के चले जाने एवं पीछे निकम्मे व्यक्तियों के रहने पर.
  • कहावत--8.गायां तौ कण्यां री है, गुवाळिये रै तौ हाथ में गेडियौ है--गायें तो अपने-अपने स्वामी की हैं, ग्वाला जो दिन भर उन्हें चराता है, उसके हाथ में केवल लाठी ही है। किसी के द्वारा सौंपा हुआ धन अपनी संपत्ति नहीं होता। अपनी संपत्ति तो कठोर परिश्रम से ही प्राप्त की जा सकती है।
रू.भे.
गऊ, गाइ, गाव, गौ।
अल्पा.
गायड़ी, गावड़ी। सं.पु.--
2.बहुत सीधा-सादा मनुष्य।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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