सं.पु.
फा.
1.गुलाब का पुष्प।
2.मनुष्य या पशु के शरीर पर गर्म की हुई धातु आदि के दागने से अंकित होने वाला चिह्न, दाग। क्रि.प्र.--दागणौ, देणौ।
- मुहावरा--गुल खाणौ--अपने शरीर पर गर्म धातु से दगवाना।
3.पुष्प, फूल (अ.मा.)
- उदा.--लाजाळू गुल चिमन में, खग कुळ मांहि बकोट। मावड़िया मिनखां मही, यां तीनां में खोट।--बां.दा.
- मुहावरा--1.गुल खिलणौ--विचित्र बात होना, अनहोनी बात सामने आना, हलचल होना, झंझट होना.
- मुहावरा--2.गुल खिलाणौ--विचित्र घटना उपस्थित करना, ऐसी बात उपस्थित करना जिसका अनुमान पहले से ही लोगों को न हो, बखेड़ा खड़ा करना, उपद्रव मचाना।
यौ.
गुलजार, गुलदस्तौ, गुलदांन।
4.दीपक आदि में बत्ती का वह अंश जो बिल्कुल जल जाता है। क्रि.प्र.--कतरणौ, काटणौ, पड़णौ।
- मुहावरा--(दियौ) गुल करणौ --(चिराग) बुझाना।
5.चिलम पीने के बाद बच रहने वाला तम्बाकू का जला हुआ अंश.
6.किसी चीज पर बना हुआ भिन्न रंग का कोई गोल निशान। क्रि.प्र.--पड़णौ।