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गुड़
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.गूढ़
1.हाथी का कवच।
उदा.--
1..गाहै गजराजां
गुड़ां
रुहिर मचावै कीच, ज्यांरै नवग्रह पाधरां, जे वंका रण बीच।--बां.दा.
उदा.--
2..गयराजां
गुड़
ग्रहण, रहण पाखर हयराजां। पाजां छळि दळ प्रघळ, सघण वरसाळ समाजां।--वं.भा.
मुहावरा--
गुड़पाखर होणौ--कटिबद्ध होना, तैयार होना।
2.गेंद कंदुक.
3.पका कर जमाया हुआ गन्ने या ताड़ी का रस जो कतरे, बट्टी या भेली के रूप में होता है। पर्याय.--इच्छु।
मुहावरा--
1.गुड़ खाणौ नै गुलगुलां सूं परहेज करणौ--बड़ी बुराई करना और छोटी बुराई से बचना। किसी कार्य का बड़ा अंश करना और छोटे से दूर रहना। किसी कम हानिकारक चीज को बचाना और ज्यादा हानिकारक को खाना.
मुहावरा--
3.गुड़ गाळणौ--किसी मांगलिक कार्य के अवसर पर बड़ा भोज करना जिसमें कोई गुड़-मिश्रित वस्तु बनी हो.
मुहावरा--
4.गुड़ गोबर करणौ--बना बनाया काम बिगाड़ देना.
मुहावरा--
5.गुड़ दियां मरै तो जहर क्यूं देणौ--आसानी से काम निकलता हो तो सख्ती नहीं करना चाहिये.
मुहावरा--
6.गुड़ माथै माखियां घणी आवै--माल होगा तो चखने वाले अपने आप आ जायेंगे; कोई चीज होगी तो उसकी जरूरत वाले अपने आप पहुँचेंगे।
कहावत--
1.गुड़ घालसी जितौ मीठौ हुसी--जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा। जितना परिश्रम करोगे उतना ही लाभ होगा। जितना खर्च करोगे वैसी ही वस्तु मिलेगी.
कहावत--
2.गुड़ खाई जिकौ कांन बींदाई--जो गुड़ खायेगा, वही कान छिदावेगा। जो कुछ धन लेगा उसे कुछ कष्ट भी उठाना होगा (लड़कों का कान छेदते प्रायः उनके हाथ में गुड़ की डली दे दी जाती है जिससे वे उसमें भूले रहें और झट से कान छेद दिए जाएं.
कहावत--
3.गुड़ देतां ही छोरी हुवै जरां पछै कांई करै--गुड़ देते हुए भी लड़की हो जाय तो क्या किया जाय? अधिक परिश्रम या व्यय करने पर भी सफलता न मिलने पर.
कहावत--
4.गुड़ बिना किसी चौथ, जैतल बिना किसौ रातीजोगौ--बिना गुड़ अर्थात् मिष्ठान के चौथ आदि का त्यौहार पूर्ण नहीं होता, उसी प्रकार बिना जैतल (देवी विशेष का गीत) गाये रात्रि-जागरण अधूरा होता है। जैतल देवी का महत्त्व-प्रदर्शन।
रू.भे.
गळ, गुळ, गोळ।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
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