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गैल
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.मार्ग, राह, रास्ता।
उदा.--
हवै
गैल
चौड़ा जठै सैल हूंता, हलै बैल जोटां घणा बैल हूंता।--वं.भा.
2.पीछा।
उदा.--
सायब बड़ा सिरदार, केता चुगल चाड़ी करै। हाथी
गैल
हजार, भुसै गिंडक रे भैरिया।--राजा बळवंतसिंह
उदा.--
सुणी कीरती छाक वाळै सवादी, विनां नारि हालै नथी कील वादी। करी
गैल
तौ एक दीधी करेणूं, वळै डाक दारां सजै लंब वेणूं।--वं.भा.
क्रि.वि.
साथ-साथ।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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