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गोखरू  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.गोक्षुर
1.वर्षा ऋतु में पनपने वाला एक पौधा जिसमें चने के फल के आकार के कड़े और कँटीले फल लगते हैं। ये फल औषध के काम में लिए जाते हैं और वैद्यक में इन्हें शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, वायु, अर्श और व्रणनाशक कहा है.
2.गोखरू फल के आकार के बने धातु के कँटीले टुकड़े जो हाथियों को पकड़ने के लिए उनके रास्ते में फैला दिए जाते हैं.
3.स्त्रियों की कलाई का एक आभूषण जो कड़े के आकार का होता है।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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