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गोठ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.गोष्ठी
1.मित्र-मंडली का वह सामूहिक भोजन जो किसी बड़े व्यक्ति के सम्मान में, किसी सुअवसर पर या सुन्दर मौसम के समय किया जाता है।
  • उदा.--1..माता कहै आज सारा घर रा तौ गोठ में गया।--वीर सतसई की टीका
  • उदा.--2..रावळ आप नांन्हा बेटा रै कोड रै वासतै आयौ। पैहलै दिन वीमाह हुवौ नै बीजै दिन गोठ की नै साथ सदोरौ हुवौ, तठै चूक करनै विजैराव नूं मांणस 750 सूं मारियौ।--नैणसी
2.मेहमानदारी, मिहमानी।
  • उदा.--भोजन विविध चाव भूंजाई, सदा नवनवी गोठ सवाई। चावा सबद कहै नित चावां, अकसौ सिरै तणौ उमरावां।--रा.रू.
3.टोली, दल, गोष्ठी।
  • उदा.--ठठोर सत्रु गोठ की जबांन गोठ लें जबें, बडी मठोठ में बहैं दु होठ दंत तें दबें।--ऊ.का.
4.समूह, झुंड, दल.
5.छोटा गाँव, खेड़ा।
  • उदा.--नहीं तूं ठोड नहीं तूं ठांम, नहीं तूं गोठ नहीं तूं गांम।--ह.र.
यौ.
गांव-गोठ। [सं.गुटिका]
6.चौसर या किसी अन्य खेल की गोटी, मोहरा.
  • उदा.--साळै बेहनोई रै घणौ सुख छै सु एक दिन चोपड़ रमता छा सु राज रा हाथ सूं गोठ मारतां चिरफाट उछळी सु लाखै रै निलाड़ लागी।--नैणसी
7.पशुओं को रखने का अहाता (क्षेत्रीय)
[रा.]


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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