HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

गौरव  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.बड़प्पन, महत्त्व.
2.गुरुता.
3.सम्मान, आदर। सं.स्त्री.--
4.कीर्ति, यश.
5.वृद्धि।
  • उदा.--तुलि बैठौ तरणि तेज सम तुलिया, भूप कणय तुलता भू भांति। दिणि दिणि तिणि लघुता प्रांमै दिन, राति राति तिणि गौरव राति।--वेलि.
6.पाणिग्रहण संस्कार के बाद जीमणवार के दूसरे दिन वधू पक्ष द्वारा दिया जाने वाला भोज विशेष (श्रीमाली ब्राह्मण)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची