सं.पु.
सं.
1.बड़प्पन, महत्त्व.
3.सम्मान, आदर। सं.स्त्री.--
5.वृद्धि।
- उदा.--तुलि बैठौ तरणि तेज सम तुलिया, भूप कणय तुलता भू भांति। दिणि दिणि तिणि लघुता प्रांमै दिन, राति राति तिणि गौरव राति।--वेलि.
6.पाणिग्रहण संस्कार के बाद जीमणवार के दूसरे दिन वधू पक्ष द्वारा दिया जाने वाला भोज विशेष (श्रीमाली ब्राह्मण)