सं.पु.
सं.
1.प्राचीन काल से ही ज्ञात वे तारे जिनकी गति, उदय एवं अस्तकाल आदि का पता ज्योतिषियों ने लगा लिया था।
यौ.
ग्रहगोचर, ग्रहपति, ग्रहमिण ग्रहमैत्र, ग्रहराज, ग्रहवेध।
2.सौर जगत् में अपनी निश्चित कक्षा पर सूर्य की परिक्रमा करने वाला तारा। वि.वि.--ये प्रधान ग्रह नौ हैं--
9.यम (प्लूटौ)। फलित ज्योतिष में नौ ग्रहों के अंतर्गत सूर्य व चंद्र भी सम्मिलित किए जाते हैं (मि.'नवग्रह')
यौ.
ग्रहगोचर, ग्रहचिंतक, ग्रहजग्य, ग्रहजुती, ग्रहजोग, ग्रहदसा, ग्रहद्रस्टि, ग्रहनेमि, ग्रहपति, ग्रहमिण, ग्रहमैत्र, ग्रहराज, ग्रहवेध।
4.ग्रहण करने या लेने का भाव.
7.वह पात्र जिससे यज्ञ में देवताओं को सोमरस का हविष्य दिया जाता है.[सं.गृह]
8.घर, मकान, निवास स्थान।
- उदा.--आगै जाइ आलि केळि ग्रह अंतरि, करि अंगण मारजण करेण।--वेलि.
यौ.
ग्रहचार, ग्रहचारी, ग्रहचिंतक, ग्रहजुध, ग्रहधारी, ग्रहनार, ग्रहपति, ग्रहपाळ, ग्रहपसु, ग्रहम्रग, ग्रहवंत।
रू.भे.
(ग्रिह, ग्रेह, ग्रेहक)