सं.पु.
सं.घन
1.मेघ, बादल।
- उदा.--1..इम बेझड़ां लोह धुबि आरण, घाव जांणि वरसै बारह घण।--सू.प्र.
- उदा.--2..वेत्रवती जळ पीय लहरतौ घण गरजंतां। ज्यूं मुख भौंह विलास अधर धण पांन करतां।--मेघ.
यौ.
घणघोर, घणनाद, घणपटळ, घणप्रिय, घणमाळ, घणराट, घणराव, घणवाह, घणहर।
2.मोटा भारी हथौड़ा जिससे गर्म लोहा पीट कर दूसरे रूप में बदला जाता है (लुहार)
- उदा.--इण भांत कमंधां अग्गळी, रूक वजायी रोहड़ै। वीरांण कि आरण वावरै, ज्यां घण तत्तै लोहड़ै।--रा.रू.
6.किसी अंक को उसी अंक से दो बार गुणा करने से प्राप्त गुणनफल.
11.अनाज में पड़ने वाला एक कीड़ा विशेष, घुन.
12.प्रथम लघु एवं दो दीर्घ सहित पाँच मात्रा का नाम ।ऽऽ (डिं.को.)
13.संगठन।
- कहावत--घण जीतै रे लिछमणा सदा ही हड़वंत --संगठन की सदैव जीत होती है।
1.अधिक, बहुत, ज्यादा।
- उदा.--बीजळियां खळभळियां, ढाबा थी ढळियांह। काठी भीड़े वल्लहा, घण दीहै मिळियांह।--जसराज
- कहावत--1.घण गाजण बरसे नहीं, भूसण कुत्ता न खाय--गरजने वाले बरसते नहीं; शेखी बघारने वाला व्यक्ति काम नहीं कर सकता.
- कहावत--2.घण जायां कुळ हांण, घण बूठां कण हांण--अधिक संतान होने से कुल की हानि होती है एवं अधिक वर्षा से खेती नष्ट होती है; अति सर्वत्र वर्जयते.
- कहावत--3.घण दूझी नै पाडी री मा--अधिक दूध देने वाली और साथ में पाडी की माँ; किसी लाभकारी वस्तु से दुहरा लाभ होने पर कही जाती है।
यौ.
घणआणंद, घणखाऊ, घणघोर, घणजांण, घणजांणग, घणजीवौ, घणजुग, घणजूंझौ, घणदाता, घणदूधाळ, घणनांमी, घणमोलौ, घणरूप, घणसहौ।
3.श्वेत-कृष्ण, धूमिल* (डिं.को.)