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घोर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
भयंकर, डरावना।
  • उदा.--1..महाबळ कांणण-रांण मलंग, दारू मझ जांण क्रसांण दमंग। सत्रां उर घोर घमोड़त सेल, झलै पत्र चोसठि रत्र उझेळ।--मे.म.
2.जबरदस्त।
  • उदा.--हे जोधार, म्हारी जोड़ी रा सत्रवां नै मारण सारूं घोर (जबर) जमराज जैड़ा रोड़ी।--वीर सतसई की टीका
3.सघन, घना।
  • उदा.--लटा लूंब द्रुम बन लता, कुससटा चहुं कोर। उदीपण भूखण अटा, घटा मोर घण घोर।--क.कु.बो.
4.कठिन, दुर्गम, कठोर.
5.अत्यधिक, घना। सं.स्त्री.--
1.दफनाने का स्थान, कब्र।
  • उदा.--1..केवांण झाटके बाढ़, झाड़िया भूरियां कंधां। बिभाड़िया लाटके, बूरिया घोरां बीच।--डूंगजी जवारजी रौ गीत
  • उदा.--2..हरभम पीर वडी करामात रौ धणी हुवौ। पीर रांमदेवरै घोर ली तरै कह्यौ--घोर एक म्हांरी घोर रै पाखती सांखला हरभम रै वास्तै संवार राखौ।--नैणसी
2.समाधिस्थान या कब्र पर अंकित शब्द.
3.शब्द, ध्वनि, गर्जना।
  • उदा.--1..लोरां सांवण लूंबियौ, घोरां घण घरराय। मांणीगर रंग मांण अब, प्याला भर मद पाय।--र.रा.
  • उदा.--2..गोळै नाळिए वाजंती, घड़ा गाजंती करंती घोरि। खिवंती ऊनागे खागे, रचावंती रीठ।--दूदौ वीठू
  • उदा.--3..रणंके तिकां घोर रूड़ी रचाई, ठणंके किनां झल्लरी ठोर ठाई।--वं.भा.
4.निद्रावस्था में नाक से निकलने वाली घर्र-घर्र की ध्वनि.
5.नक्कारे की आवाज (अ.मा.)


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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