सं.स्त्री.
1.जोश का भय आदि के कारण रोमांचित होने का भाव।
- उदा.--चणण रोम चाचर धरण धाक धर थरर चख, खंभ बड़ड़ कड़ड़ दसण खिजायौ।--ब्रह्मदास दादूपंथी
2.धधकते हुए अंगारों को पानी में डालने से अथवा उन पर पानी डालने से होने वाली छम्म छम्म की ध्वनि।
3.तीरों अथवा बंदूकों की गोलियों की बौछार की ध्वनि।