HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

चरी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.पशुओं के चरने के लिए जमींदार द्वारा किसानों को बिना लगान पर दी गई जमीन।
2.पीतल या अन्य धातु का एक बरतन जो जल डालने या दूध दुहने के उपयोग में लिया जाता है।
  • उदा.--बीजोड़ां नै ए मा चरी-चरी धीव, बाई नै दीनौ ए सासू डोरौ तेल रौ।----लो.गी.। मह. चरौ।
3.देखो 'चरित्र (रू.भे.)
  • उदा.--धरमिहिं अचळ बधामणउं ए विधा विलासह चरी ए।--वि.वि.प.


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची