सं.स्त्री.
1.पशुओं के चरने के लिए जमींदार द्वारा किसानों को बिना लगान पर दी गई जमीन।
2.पीतल या अन्य धातु का एक बरतन जो जल डालने या दूध दुहने के उपयोग में लिया जाता है।
- उदा.--बीजोड़ां नै ए मा चरी-चरी धीव, बाई नै दीनौ ए सासू डोरौ तेल रौ।----लो.गी.। मह. चरौ।
3.देखो 'चरित्र (रू.भे.)
- उदा.--धरमिहिं अचळ बधामणउं ए विधा विलासह चरी ए।--वि.वि.प.