HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

चाट  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.किसी वस्तु के उपभोग का चसका।
  • उदा.--1..निज थाट खोयफीटा निलज, साट न बुझै सार री। आठबाठ भागे अकल, चाट लगे विभचार री।--ऊ.का.
  • उदा.--2..अजहूं न आयौ कंवर नंद कौ, प्यारी लागी चाट। छांड गयौ मझधार सांवरौ, बिना अकल रौ जाट।--मीरां
2.प्रबल इच्छा, कड़ी चाह। क्रि.प्र.--लागणी, होणी।
3.आदत, टेव, लत।
4.मिर्च-मसाला व खटाई आदि डाल कर बनाई हुई तीक्ष्ण या चरपरे स्वाद की वस्तु।
5.बड़ी शिला, चट्टान।
क्रि.प्र.--पड़णी, लगाणी, लागणी, होणी।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची