सं.स्त्री.
फा.
1.हुक्के के ऊपरी भाग पर रक्खा जाने वाला वह पात्र जिसमें तम्बाकू भर कर आग रक्खी जाती है।
- उदा.--1..रूपै रा कुलाबा लागा थका, सोनै री टूंटी, रूपै री चिलम चिलमपोस छै।--रा.सा.सं.
- उदा.--2..सुलफी गुड़गुड़िया चिलम होकां री हळकी। हांडी बूरै हरख आभूखण रिपियां रळकी।--दसदेव
2.तम्बाकू पीने के लिए लकड़ी अथवा मिट्टी का बना वह उपकरण जिसके नीचे नली होती है तथा ऊपर कटोरीनुमा हिस्सा होता है जिसमें तम्बाकू रख कर ऊपर से आग रखते हैं। यह कभी-कभी नली के द्वारा तथा कभी हुक्के के ऊपर रख कर पीया जाता है।
- उदा.--करड़ी डांवळी रौ, सू इण भांत री तमाकू सूं चिलमां भरीजै छै।--रा.सा.सं.
- मुहावरा--1.चिलम खींचणी--चिलम पर तम्बाकू जला कर धुंआ खींचना।
- मुहावरा--2.चिलम चढ़ाणी--गुलामी करना, चिलम पर तंबाकू रख कर आग रखना।
- मुहावरा--3.चिलम पीणी--चिलम पर तंबाकू पीना।
- मुहावरा--4.चिलम भरणी--देखो 'चिलम चढाणी'।
अल्पा.
चिलमड़ी। (मह.--चिलमड़)
क्रि.प्र.--चढ़ाणी, चाढणी, झाड़णी, पीणी, भरणी।
क्रि.प्र.--खींचणी, झाड़णी, पीणी, भरणी।