सं.स्त्री.
1.एक वस्तु की किसी दूसरी वस्तु पर लगने वाली जोर की टक्कर, आघात, प्रहार।
- उदा.--लगाऊं सुरां वायकां चोट लागै। जती बोलियौ क्रोध पावक्क जागै।--सू.प्र.
- मुहावरा--चोट झेलणी--आघात सहन करना।
2.आघात या प्रहार का प्रभाव, जख्म, घाव। क्रि.प्र.--आणी, लागणी।
3.किसी को मारने के लिये हथियार आदि चलाने की क्रिया, वार, आक्रमण।
- मुहावरा--चोट खाली जाणी--वार खाली जाना, आक्रमण व्यर्थ जाना।
4.मानसिक व्यथा, दु:ख, शोक, संताप, हृदय पर लगने वाला आघात।
5.किसी को क्षति पहुँचाने या किसी का अनिष्ट करने के लिये चली हुई चाल।
6.व्यंग्यपूर्ण उक्ति, ताना।
8.छेड़छाड़।
- उदा.--झोटां ज्यूँ साधू झपट, जोटां दे जुग टाळ। चेली सूं चोटां करै, रोटां हित रुगटाळ।--ऊ.का.
क्रि.प्र.--देणी, पड़णी, पहुंचाणी, मारणी, मेलणी, लगणी, लगाणी, लागणी, सै'णी।