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चोटी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.चूड
1.खोपड़ी के पीछे थोड़े से चपटे भाग में कुछ बड़े वे बाल जिन्हें हिन्दू रखना आवश्यक व पवित्र समझते हैं, शिखा।
  • मुहावरा--1.ऐडी रौ चोटी उतरणौ--अथक परिश्रम करना, पसीना बहाना।
  • मुहावरा--2.चोटी दबणी--वश में होना, अधिकार में होना।
  • मुहावरा--3.चोटी पकड़णी--काबू में करना, अधिकार में करना, किसी बात का मूल पहिचानना।
  • मुहावरा--4.चोटी रौ पसीनौ एडी तक आणौ--कठिन मेहनत करना।
  • मुहावरा--5.चोटी हाथ में आणी--काबू में आना, किसी प्रकार के दबाव में आना, वश में होना।
2.स्त्रियों के गुंथे हुए सिर के बाल, वेणी। क्रि.प्र.--करणी, गूंथणी, बाँधणी।
3.किन्हीं-किन्हीं पक्षियों के शिर के वे पर जो कुछ ऊपर की ओर उठे रहते हैं।
4.सब से ऊपर का ऊंचा भाग, शिखर।
  • मुहावरा--चोटी चढणौ--ऊपर उठना, उन्नति को प्राप्त होना, सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त करना।
5.पुत्र जन्म के इक्कीसवें दिन या जब कभी शुभ मुहूर्त्त हो जच्चा को स्नान करा कर नये वस्त्र पहिनाने, घट पूजन कराने तथा उबाले हुए गेहूं व गुड़ बांटने को पुष्करणा ब्राह्मणों की एक रस्म। इस दिन स्त्री की सुगंधित द्रव्यों से चोटी गूंथी जाती है तथा पिता एवं उसके मित्र बच्चे के हाथ में रुपये देते हैं।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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