सं.स्त्री.
सं.चतुर्थी
1.माह के किसी पक्ष की चौथी तिथि, चतुर्थी।
- मुहावरा--1.चौथ रौ चांद--ऐसी वस्तु जिसके देखने से कलंक लगे।
- मुहावरा--2.चौथ रौ चांद देखणौ--व्यर्थ में कलंकित होना।
2.विवाह के बाद चौथे दिन का संस्कार विशेष।
3.चौथा भाग, चतुर्थांश। (सं.चतुर्थांश)
4.मराठों द्वारा पराजित राजाओं से लिया जाने वाला कर जिसमें आमदनी का चतुर्थांश भाग वसूल किया जाता था।
5.रक्षा के लिए डाकुओं या लूटने का व्यवसाय करने वाली जाति विशेष के व्यक्ति विशेष को रक्षा का उत्तरदायित्व लेने पर नियमित रूप से दिया जाने वाला कर।
रू.भे.
चउत्थ, चउत्थी, चउथी, चउथ।