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चौथ  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.चतुर्थी
1.माह के किसी पक्ष की चौथी तिथि, चतुर्थी।
  • मुहावरा--1.चौथ रौ चांद--ऐसी वस्तु जिसके देखने से कलंक लगे।
  • मुहावरा--2.चौथ रौ चांद देखणौ--व्यर्थ में कलंकित होना।
2.विवाह के बाद चौथे दिन का संस्कार विशेष।
3.चौथा भाग, चतुर्थांश। (सं.चतुर्थांश)
4.मराठों द्वारा पराजित राजाओं से लिया जाने वाला कर जिसमें आमदनी का चतुर्थांश भाग वसूल किया जाता था।
5.रक्षा के लिए डाकुओं या लूटने का व्यवसाय करने वाली जाति विशेष के व्यक्ति विशेष को रक्षा का उत्तरदायित्व लेने पर नियमित रूप से दिया जाने वाला कर।
रू.भे.
चउत्थ, चउत्थी, चउथी, चउथ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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