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चौरंग  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.तलवार का वार करने का एक ढंग, तलवार का एक हाथ।
  • उदा.--चौरंग चूरिया वर सेत 'चांदै' भिड़ै नवली भांति।--राठौड़ चांदा वीरमदेवोत मेड़तिया रौ गीत
2.देखो 'चौरंगौ' (रू.भे.)
  • उदा.--भाई चाड करण रिण भिड़तै, अर साझे खागां अमळ। चरण बिना लोटै घट चौरंग, कर बिन घट घट विन कमळ।--द.दा.
3.युद्ध, समर।
  • उदा.--1..'चांपा' चौरंग अग्गळा, 'कांन्ह' अनै 'हरनाथ'। सोजत ऊपर हल्लिया, बांधै फौज समाथ।--रा.रू.
  • उदा.--2..मोनूं 'गोयंद' मारणौ, चित नहिं अनिचाळा। सुरतांणां दळ मझि सझौ, चौरंग चिरताळा।--सू.प्र.
4.संसार का आवागमन।
  • उदा.--वेखै मात पिता त्रिय बंधव, कुळ धन धंधव काचौ। चौरंग मझ जम हूंत बचायब, साहिब राघव सांचौ।--र.ज.प्र.
5.मैदान, क्षेत्र।
  • उदा.--धार विहार अणी घट घौरंग, चुख चुख होय पडूं रिण चौरंग।--सू.प्र.
6.बलिदान के लिये लाया हुआ वह भैंसा जिसके सींगों में रस्सा बांध कर अगले पैरों के बीच से निकाल कर रस्से से पिछले पैरों को बांध दिया जाता है।
  • उदा.--तरवार्‌यां किण भांत री छै।....बगतर में बाही दोय टूक करै, चौरंग में बाही थकी सीक सिरौ चलणिया सार बाढ़ै।--रा.सा.सं.
7.योद्धा, वीर। सं.स्त्री.(सं.चतुरंगिनी)
8.सेना, फौज।
  • उदा.--चौरंग में चौरंग बिण, बळि की सकै बिगाड़। चट उछळ हेकज चणौ, भंवै न फौड़े भाड़।--रेवतसिंह भाटी
9.चतुरंगिनी सेना।
  • उदा.--घटां घटां चौरंग चा नारंग उलट्टै, किर फूटै विच चोहटां रंगरेजां मट्टै।--द.दा.
1.चार।
2.वह जिसके चार अंग हों, चार प्रकार का, (अ) जैसे चार प्रकार की सेना--
1.हाथी;
2.घोड़े;
3.रथ;
4.पैदल।
  • उदा.--हळाबोळ चौरंग दळां वीच मुजै हरण गजां कुळ कुळत हुए धर गाह।--कल्यांणदास महड़ू
यौ.
चौरंग दळ। (आ) जैसे--चार प्रकार की लक्ष्मी--
1.राज्य लक्ष्मी;
2.विजय लक्ष्मी;
3.गृह लक्ष्मी;
4.धन-दौलत (भोग्य लक्ष्मी)।
  • उदा.--1..समपै लाख पसाव, गांव पटा औधा गरथ। चौरंग लक्ष्मी चाव, जिण तिण घर कीन्हौ 'जसा'।--ऊ.का.
  • उदा.--2. धजबंधी कोड़ीधज लखेसरी दौलतिवंत चौरंग लिखमी रा लाडला लोक वडा वापारी घणा सुख चैन सूं वसै छै।--रा.सा.सं.
यौ.
चौरंग-लक्ष्मी।
विशेष विवरण:-संसार की मुख्य चार योनियां मानी गई हैं--जरायुज, अंडज, उद्‌भिज, स्वेदज और इन्हीं चार से संसार के लिये चौरंग शब्द का प्रयोग किया गया है।
वि.--


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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