सं.स्त्री.
सं.छच्छिका
1.मथा हुआ व मक्खन निकाला हुआ दही का पतला घोल, मट्ठा।
- उदा.--मन जांणै पीवूं पै-मिसरी, छाछ सुवरणी मिळै न छांट। वळिया सो पाछा कुण वाळै, उण घर री लेखण रा आंट।--ओपौ आढ़ौ
- कहावत--1.छाछ छीतरी बेटी ईतरी-छितरी हुई छाछ अर्थात् अधिक पतली छाछ और लाड-प्यार से इतराई हुई पुत्री का सुधरना कठिन होता है।
- कहावत--2.छाछ नै बेटी मांगवा री लाज नी--छाछ और लड़के के सम्बन्ध के लिए किसी सजातीय लड़की मांगना कोई लज्जाजनक बात नहीं (प्रथा)
- कहावत--3.पतळी छाछ खटे नहिं पांणी--पतली छाछ में पानी नहीं चल सकता। निर्धन व्यक्ति को अपने ऊपर आया हुआ साधारण व्यय का बोझ भी असह्य होता है। छोटे दायरे और संकीर्ण विचारों के व्यक्ति में सहनशीलता बहुत कम होती है।
- कहावत--4.राबड़ी नै खाटी छाछ सूं खाणौ--निम्न श्रेणी की वस्तु के साथ निम्नतर श्रेणी की वस्तु का संयोग हो जाता है तब यह कहावत कही जाती है।
2.चाच देश।
- उदा.--छाछ कवांण खुदंग सर, समसेरां ईरांन। आंणै अस ऐराक सूं, थटण घणौ धन थांन।--बां.दा.
रू.भे.
छा, छाछि, छास, छासि, छाह।
अल्पा.
छाओड़ी, छाओड़ौ, छा'डी, छा'डौ, छाछड़ली, छाछड़लौ। मह.--छाछड़।
पर्याय.--उदिचित, काळसेय, तक्र मथिति, मही।