सं.स्त्री.
सं.क्षिप्त, प्रा.छित्त
1.जल अथवा किस द्रव पदार्थ की बूंद, जल-कण।
2.किसी द्रव पदार्थ या जल की बूंद का पड़ा दाग या चिह्न।
3.विभिन्न रंगों से बेल-बूंटे व डिजाइन आदि छाप कर बनाया हुआ कपड़ा या कागज।
4.टुकड़ा, भाग, खण्ड।
- उदा.--1..इतरै तौ आंण भेळिया सो लोग सारौ छींट छींट हुइ गयौ।--डाढाळा सूर री बात
- उदा.--2..नैण पटक दूं ताळ में छींट-छींट हुय जाय। मैं तने नैणां कद कह्यौ, मन पहली मिळ जाय।--र.रा.
- मुहावरा--1.छींट-छींट करणौ--अलग-अलग करना, तितर-बितर होना।
- मुहावरा--2.छींट-छींट होणौ--खंड-खंड होना, छिन्न-भिन्न होना।