सं.स्त्री.
1.छूटने का भाव, छुटकारा, मुक्ति। क्रि.प्र.--दैणी, पाणी, मिळणी।
3.दंपत्ति का परस्पर संबंध त्याग, तलाक, विच्छेद।
4.स्वतंत्रता, स्वच्छंदता, आजादी।
5.वह धन या रुपया अथवा अनाज जो महाजन या जमींदार द्वारा स्वेच्छा से आसामी के हक में छोड़ दिया जाता है। क्रि.प्र.--करणी, दैणी।
7.वह भूमि जो किसी कारणवश नहीं जोती गई हो।
8.वह भूमि जिसकी उर्वरा शक्ति बढ़ाने हेतु कुछ वर्षों के लिये छोड़ दी गई हो, परती।
9.किसी कार्य या उसके किसी अंग को भूल से न करने का भाव। क्रि.प्र.--रै'णी।