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छड़ी  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
1.सीधी व पतली लकड़ी।
2.झंडी जो मजार या देवालय पर चढ़ाई जाती है।
3.लात या लत्ती मारने की क्रिया।
  • मुहावरा--छड़ी आछटणी--
1.लात फेंकना।
2.तड़फना, पैर पटकना।
4.छेड़छाड़, झगड़ा।
  • उदा.--खलक लोक तमासौ देखै। जलाल कहै--छड़ी मतां करौ। तमासौ देखण देवौ।--जलाल बूबना री बात
4.पाजामे या लहंगे की सीधी टंकाई (दरजी) वि.स्त्री.(पु.छड़ौ)
1.अकेली, एकाकी।
2.स्वतंत्र, आजाद।
3.संतानहीन।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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