सं.स्त्री.
1.सीधी व पतली लकड़ी।
2.झंडी जो मजार या देवालय पर चढ़ाई जाती है।
3.लात या लत्ती मारने की क्रिया।
4.छेड़छाड़, झगड़ा।
- उदा.--खलक लोक तमासौ देखै। जलाल कहै--छड़ी मतां करौ। तमासौ देखण देवौ।--जलाल बूबना री बात
4.पाजामे या लहंगे की सीधी टंकाई (दरजी) वि.स्त्री.(पु.छड़ौ)