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जठर  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
उदर, पेट।
  • उदा.--अनंग जु कांम तेंका अंग महादेव जुदा जुदा कीया था, सु जेठा जठर कहतां पेट कै विखै वसिने जुड़िया।--वेलि.टी.
यौ.
जठीरागनी, जठराग्नि, जठरानळ, जठागनि।
रू.भे.
जठरि। मह.--जठराळ। वि.--
1.वृद्ध, बूढ़ा.
2.निष्ठुर।
  • उदा.--अपहड़ अथग अरेह, जिकौ विनड़ियौ वधंतौ। कुवचन मुख काढ़ता, जिकौ सुवचन जांणंतौ। अेक घड़ी आंतरौ, दोरम सोहि दाखंतौ जिकौ जीव जीवतौ, नकौ अंतर राखंतौ--आफेई माल लेता उरौ, कदे न चख झंखा किया। 'सेरसा' मरण फूटौ नहीं, है लांणत जठर हिया।--पहाड़खां आढ़ौ


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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