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जबर
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
अ.ज़बर
1.बलवान, शक्तिशाली, शूरवीर।
उदा.--
सो बादसाह औरंगजेब सारखौ महादिवांण पण जयसिंघ इसौ जबर।--आंमेर रा धणी री वारता
2.क्रूर, जुल्मी।
कहावत--
1.जबर नै पूगै खबर-जबरदस्त अथवा जुल्मी के जुल्मों को धैर्य्य-पूर्वक सह लेना ही ठीक है। क्योंकि एक दिन निर्बल की हाय से जुल्मी नष्ट हो जायेगा।
कहावत--
2.जबरां रा पग माथै ऊपर-बलवानों के पैर शिर पर अर्थात् समर्थ की आज्ञा शिरोधार्य।
कहावत--
3.जबरौ मारै'र रोवण को देनी--जबरदस्त मारता है और रोने भी नहीं देता, अत्याचार एवं क्रूर के प्रति।
3.प्रबल।
उदा.--
1..खबर राख कुसमै समै, कांसूं घबर करीस। खिण खिण ले जग ची खबर, जबर सगत जगदीस।--बां.दा.
उदा.--
2..जबर विरोधी अगन जळ, ले निज का लूहार जबर विरोधी मंत्रियां, सुपह काज लै सार।--अज्ञात
4.तीव्र, अधिक।--
रू.भे.
जब्बर।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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