सं.स्त्री.
ज्यादती, अन्याय।
- उदा.--1..जे रौ किंही रौ मुनसब ओछौ करै सो खांनजहाँ होवणै न देवै जबरी कर कराय देवै।--गौड़ गोपाळदास री वारता
- उदा.--2..पण औ तौ रिसालौ खास छै, सगळौ लोग इणरै ताबै छै और मैं ही इहां रै ताबै सो सदा सूं जबरी करता रहै छै।--जयसिंह आंमेर रा धणी री वारता
2.अनुचित बात, कष्टदायक कार्य। वि.स्त्री.--देखो 'जबरौ' (रू.भे.) (पु.) क्रि.वि.--बलात्, जबरदस्ती।