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जम  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.यम
1.एक साथ पैदा होने वाले बच्चों का जोड़ा, यमज (अ.मा.)
2.दक्षिण दिशा के दिक्‌पाल और मृत्यु के देवता (पौराणिक)
3.मन व इंद्रिय का निग्रह।--
  • उदा.--अर जम नियम आसण प्रांणायांम।--वं.भा.
4.चित्त को धर्म की ओर झुके रहने के लिये कर्मों का साधन।
5.कौआ.
6.शनिश्चर (अ.मा.)
7.विष्णु.
8.वायु.
9.जमराज (नां.मा.)
  • उदा.--भोळै परत्र जम भूप रै, पिंड जांणै अहि पांखिया। विण सुरस बंध भक्खी विखम, अधकंध उप़डांखिया।--सू.प्र.
अल्पा.
जमड़ौ। वि.--अंधा।
  • उदा.--थांहरै बेटै खरळां रौ नारियळ झालियौ छै, उवा छोकरी आंखियां सूं जम छै।--कुंवरसी सांखला री वारता
  • उदा.--जेठ रा भांण सम असह बरकांण जम। मांण दुजरांण असहांण मारै।--र.ज.प्र.
क्रि.वि.
जैसे।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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