सं.स्त्री.
1.मोच, चोट, खरोंच, घाव आदि.
2.प्रहार या प्रहार की ध्वनि।
- उदा.--1..जमी पुड़ धरहरै उडै रूकां जरक, देख क्रपणां थरक पीठ दीधी।--रावत गुलाबसिंह चूंडावत रौ गीत
- उदा.--2..सैंफळै लड़ै भड़ असुर सुर, जड़ै सेल खागां जरक। कौतक्क जेण देखै कळह, ऊभौ रथ थांभै अरक।--सू.प्र.
4.सोने के टुकड़े, स्वर्ण-खंड।
- उदा.--3..अंतक तक भड़ भचक इक-इक, पड़ि जरक मुद गरक पासक।--सू.प्र.
रू.भे.
जरक्क। (अल्पा.)--जरकौ