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जरा  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
क्रि.वि.
अ.
थोड़ा, कम। वि.(सं.जरायुज)
1.गर्भ से उत्पन्न होने वाले।
  • उदा.--अंडज्ज, स्वेदज्ज जरा उद्भिज्ज, माया सब तूझ म भूलब मूझ्झ।--ह.र.
  • उदा.--1..तरै रावळ मन मांहै जांणियौ जु जरा तौ नैड़ी आई, यूं ही मर जाईजसी, किणीक सूल नांम रहै तिका वात कीजै।--नैणसी
  • उदा.--2..तन दुख नीर तड़ाग, रोज बिहंगम रूंखड़ौ। विसन सली-मुख बाग, जरा बरक ऊतर जबळ।--बां.दा.
सं.स्त्री.(सं.) वृद्धावस्था, बुढ़ापा।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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