1.जीव, प्राणी। सं.स्त्री.(सं.यात्रा)
2.मनौती, अभिष्टपूर्ति पर किसी देवता की पूजा का संकल्प, मिन्नत।
- उदा.--सेत्रू जो पिण गोहिलां रै छै। पालीतांणै सिवौ गोहिल छै, तिकौ जात करण आवै छै।--नैणसी
3.विवाहोपरान्त वर-वधू का देव-स्थानों पर देव तुष्ट-यर्थ जाना और नैवैध आदि चढ़ाना। क्रि.प्र.--करणी, दैणी।
4.यात्रा, तीर्थ यात्रा।
- उदा.--1..जात करण जगदीस री, ईस नवै परकार। चैत मास पख चांदणै, 'अजन' थयौ असवार।--रा.रू.
- उदा.--2..अकबर पातिसाह ख्वाजा री जात आयौ थौ तरै मिळिया।--राव चंद्रसेन री वात
5.देखो 'जाति' (रू.भे.)
- मुहावरा--जात जणाणौ, जात जताणौ--जाति स्वभाव प्रकट करना।