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जीमण  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.जेमनम्‌
1.घी, पानी, मैदे के साथ गुड़ अथवा शक्कर के संयोग से आग पर पका कर बनाया हुआ खाद्य मिष्ठान्न।
  • उदा.--धुरवा धरणी लग लोढा ले धावै। जीमण जीमण नै मोडा जिम जावै।--ऊ.का.
  • उदा.--2..जीमणूं के गंज एते दरसावै जिसकी ओट जीमणहार नजर न आवै।--सू.प्र.
2.बहुत से लोगों को एक साथ खिलाया जाने वाला खाना, जेमनार, भोज.
3.खाना, भोज।
  • उदा.--एक साहौ थापियौ। पछै वे परणीजण आया, सु जीमण मांहै दारू में धतूरौ घात नै पायौ, सु सारा बेसुध किया।--नैणसी
रू.भे.
जिमण, जींमण, जीम्हण।
यौ.
जीमण-चूठण, जीमण-जूठण।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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