HyperLink
वांछित शब्द लिख कर सर्च बटन क्लिक करें
 

जीव  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.
1.प्राणियों का चेतन तत्व, जीवात्मा, आत्मा।
  • मुहावरा--1.जीव कळपणौ--आत्मा का दुखी होना। इच्छा के प्रतिकूल अथवा अनुचित कार्य होने से आत्मा को क्षोभ होना.
  • मुहावरा--2.जीव कळपाणौ--जी को कष्ट पहुँचाना। अनुचित कार्य करके अथवा किसी की इच्छा के प्रतिकूल कार्य कर के आत्मा को कष्ट पहुँचाना.
  • मुहावरा--3.जीव खटकणौ--जी खटकना। किसी संदेह के कारण आत्मा का बेचैन रहना.
  • मुहावरा--4.जीव खटकाणौ--जीव खटकाना। किसी की आत्मा को बेचैन करना.
  • मुहावरा--5.जीव ठंडौ राखणौ--जी ठंडा रखना, शान्त रहना, धैर्य रखना.
  • मुहावरा--6.जीव ठंडौ होणौ--जी ठंडा होना। आत्मा को शांति मिलना.
  • मुहावरा--7.जीव तपणौ--जी तपना। आत्मा का कष्ट पाना। क्रोधित होना।
  • मुहावरा--8.जीव तपाणौ--जी तपाना। किसी कार्य की सिद्धि के लिये साधन करना। आत्मा को कष्ट देना। किसी की आत्मा को कष्ट पहुँचाना। क्रोधित होना। किसी को क्रोधित करना.
  • मुहावरा--9.जीव पांणी-पांणी होणौ--जी पानी-पानी होना। बहुत कष्ट सहन करना। चित्त कोमल होना। दयार्द्र होना.
  • मुहावरा--10.जीव बळणौ--जी जलना। आत्मा का कुढ़ना। दुखी होना। क्रोधित होना। किसी से ईर्ष्या करना.
  • मुहावरा--11.जीव बाळणौ--जी जलाना। आत्मा को दुखी करना। कुढ़ाना। क्रोधित करना। ईर्ष्या करना.
  • मुहावरा--12.जीव भरीजणौ--जी भरना। आत्मा का संतुष्ट होना.
  • मुहावरा--13.जीव में जीव आणौ--जी में जी आना। आत्मा का चिंता रहित होना। चैन आना। आत्मा का सुख पाना।
  • मुहावरा--14.जीव मोटौ करणौ--जी बड़ा करना। दुखी नहीं होना। धैर्य धारण करना।
  • कहावत--जीव दोरौ है तौ सोरौ कंई है--यदि आत्मा ही दुखी है तो सुख क्या है। सुख के सभी साधन होते हुए भी यदि आत्मा दुखी है तो वह सुखी नहीं अर्थात्‌ आत्मा की संतुष्टि ही सुख है।
यौ.
जीवात्मा।
2.जीवन तत्व। प्राण। जान।
  • उदा.--जन हरिदास या जीव कै, दुख सुख चालै साथि। अब या चीरी क्यूं मिटै, ता दिन आई हाथि।--ह.पु.वा.
  • मुहावरा--1.जीव अच्छौ होणौ--जी अच्छा होना। रोग आदि की बेचैनी या पीड़ा नहीं होना। स्वस्थ होना। नीरोग होना.
  • मुहावरा--2.जीव अटकणौ--देखो 'जीव रुकणौ'.
  • मुहावरा--3.जीव आणौ--जी आना। आराम मिलना। विश्राम मिलना। चैन आना.
  • मुहावरा--4.जीव ऊँ (सूं) खेलणौ--जी से खेलना। जान खो बैठना। मरना.
  • मुहावरा--5.जीव ऊँचौ चढ़णौ--भयभीत होना। जी घबराना। सदमा पहुँचना.
  • मुहावरा--6.जीव कांपणौ--जी काँपना। भय के कारण दुखी होना। किसी आशंका से थर्राना.
  • मुहावरा--7.जीव काडणौ--जी निकालना। प्राणविहीन कर देना.
  • मुहावरा--8.जीव खपाणौ--जी खपाना। किसी कार्य में बहुत दिलचस्पी लेना। अत्यंत कष्ट उठाना। प्राण देना। परेशान होना.
  • मुहावरा--9.जीव गमाणौ--जी गुमाना। प्राणों की बाजी लगाना। प्राण खोना.
  • मुहावरा--10.जीव गोटौ खाणौ--जी चकराना। जी में घबराहट पैदा होना.
  • मुहावरा--11.जीव घबराणौ--जी घबराना, जी में उद्वेग उत्पन्न होना। दुःखी होना.
  • मुहावरा--12.जीव छूटणौ--जी छूटना। पीछा छूटना। दम तोड़ना। प्राण निकल जाना.13 जीव छोडणौ--जी छोड़ना। प्राण देना। मर जाना.
  • मुहावरा--14.जीव जांन लड़ाणौ--जी जान लड़ाना। पूर्ण रूप से दिलचस्पी लेना। मन लगाना। जुट जाना। प्राणों की बाजी लगाना.
  • मुहावरा--15.जीव जाणौ--जी निकलना। प्राण निकलना। जिन्दा हो जाना। सजीव हो जाना.
  • मुहावरा--16.जीव तोड़णौ--जी तोड़ना दम तोड़ना। प्राण निकलना.
  • मुहावरा--17.जीव दांन--जी दान। प्राण दान। प्राणों की रक्षा।
  • मुहावरा--18.जीव दैणौ--जी देना। प्राण छोड़ना। अपने प्राणों से भी बढ़ कर प्रिय समझना.
  • मुहावरा--19.जीव दोनौ होणौ (ह्वैणौ) जी कष्ट पाना। जी घबराना.
  • मुहावरा--20.जीव धड़कणौ--भय के कारण थर्राना। मन में डरना। आशंकित होना। जी धड़कना.
  • मुहावरा--21.जीव धड़का खाणौ--कलेजा धक-धक करना। भय के कारण हृदय का धड़कना.
  • मुहावरा--22.जीव धक-धक करणौ--देखो 'जीव धड़का खाणौ'.
  • मुहावरा--23.जीव धक धक होणौ--किसी भय के कारण सशंकित होना, डर के कारण मन का अस्थिर होना.
  • मुहावरा--24.जीव धै'लणौ--भयभीत होना, आतंकित होना, एकाएक घबराना.
  • मुहावरा--25.जीव धै'लाणौ--अचानक भयभीत करना, आतंकित करना.
  • मुहावरा--26.जीव धै'लीजणौ--देखो 'जीव धै'लणौ'
  • मुहावरा--27.जीव निकळणौ--प्राण निकलना, मृत्यु होना, व्याकुल होना, भयभीत होना.
  • मुहावरा--28.जीव निकाळणौ--मार डालना, प्राणहीन कर देना, भयभीत करना.
  • मुहावरा--29.जीव नीसरणौ--देखो 'जीव निकळणौ'.
  • मुहावरा--30.जीव नै जीव जांणणौ--प्राण को प्राण समझना, इतना परिश्रम करना कि जिससे हानि न हो अत: उस समय कहा जाता है 'जीव नै जीव जांणणौ चाहिजै' अर्थात्‌ इतना परिश्रम नहीं करना चाहिए जिससे जी को अत्यधिक कष्ट पहुँचे.
  • मुहावरा--31.जीव नै मारणौ--मार डालना, समाप्त कर देना.
  • मुहावरा--32.जीव पड़णौ--सजीव होना, प्राण का संचार होना.
  • मुहावरा--33.जीव फेरी देणौ--जी घबराना, जी मचलना, चक्कर आना, सूझ विहीन होना.
  • मुहावरा--34.जीव बावड़णौ--मृत प्राय: में प्राण का संचार होना, किसी अनहोनी से बचना।
  • मुहावरा--35.जीव बिखरणौ--व्याकुल होना, बेहोश होना, जी का कष्ट पाना, विह्वल होना.
  • मुहावरा--36.जीव मचळणौ--मन उचाट होना, जी में ऐसी स्थिति होना कि वमन हो जाय, व्याकुल होना, आकुल होना.
  • मुहावरा--37.जीव मचळाणौ--आकुल करना, उत्तेजित करना, घबराहट पैदा करना.
  • मुहावरा--38.जीव माथै आय नै पड़णी--ऐसे भारी संकट में फँस जाना कि पीछा छुड़ाना कठिन हो जाय। प्राण पर आ बनना.
  • मुहावरा--39.जीव माथै खेलणौ--प्राणों की बाजी लगाना, प्राण जाने की परवाह न करना.
  • मुहावरा--40.जीव मारणौ--किसी प्राणी को प्राणहीन करना.
  • मुहावरा--41.जीव में जीव घालणौ--जी में जी डालना। मरे हुए को जीवित करना। किसी कार्य को करने के लिये उत्प्रेरित करना।
  • मुहावरा--42.जीव रखौ--शरीर या प्राण को सुरक्षित रखने का कार्य या ऐसा कोई पदार्थ जिसके सहारे से शरीर की सुरक्षा हो.
  • मुहावरा--43.जीव राखणौ--प्राण बचाना, प्राणों की सुरक्षा रखना.
  • मुहावरा--44.जीव री जड़ी (जीवजड़ी)--प्राण का आधार, जी से ज्यादा प्यारा.
  • मुहावरा--45.जीव री जेवड़ी करणी--अत्यधिक परिश्रम करना, इतना परिश्रम करना कि शरीर को बहुत कष्ट पहुँचे.
  • मुहावरा--46.जीव री पड़णी--देखो 'जीव माथै आय नै पड़णी'.
  • मुहावरा--47.जीव री लागणी--प्राण बचाना भी दुष्कर होना, भयंकर कष्ट आना.
  • मुहावरा--48.जीव रुकणौ--मरणासन्न व्यक्ति का इच्छित कार्य अथवा इच्छा की पूर्ति न होने के कारण प्राण तुरन्त न निकलना, प्राण अटकना.
  • मुहावरा--49.जीव रुखाळणो--प्राण की रक्षा करना, जी को किसी आपत्ति अथवा कष्ट से टालना.
  • मुहावरा--50.जीव रै'णौ--प्राण बचना, जिन्दा रहना.
  • मुहावरा--51.जीव रौ--जी का, प्यारा, वल्लभ (स्त्री.जीव री)
  • मुहावरा--52.जीव रौ काचौ--जी का डरपोक, कायर, डरने वाला, प्राण की अत्यधिक परवाह करने वाला, कृपण.
  • मुहावरा--53.जीव रौ चोदू--देखो 'जीव रौ काचौ'.
  • मुहावरा--54.जीव रौ जूर (जो'र) करणौ--शरीर को अत्यधिक कष्ट पहुँचाना, अत्यधिक परिश्रम के कारण जी को दुखी करना.
  • मुहावरा--55.जीव रौ जू'र (जौ'र) होणौ--अधिक कार्य करने से पीड़ा होना.
  • मुहावरा--56.जीव रौ ताऊ--तेज मिजाज का, शीघ्र क्रोधित होने वाला, शीघ्र तड़कने वाला.
  • मुहावरा--57.जीव रौ दातार (उदार)--प्राण की परवाह नहीं करने वाला, वीर, बहादुर.
  • मुहावरा--58.जीव रौ पांणी करणौ--अत्यधिक परिश्रम करना.
  • मुहावरा--59.जीव रौ लागू--जी के पीछे पड़ा हुआ, प्राण लेने वाला, कष्ट देने वाला.
  • मुहावरा--60.जीव रौ हांणूं--जी को हानि पहुँचाने वाला, प्राण को कष्ट देने वाला, अत्यधिक परिश्रम कर के स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाला.
  • मुहावरा--61.जीव लड़ाणौ--जी लड़ाना, अत्यधिक परिश्रम करना, जी जान से योग देना, पूरा ध्यान देने वाला.
  • मुहावरा--62.जीव लारै पड़णौ--जी के पीछे पड़ना, पीछा नहीं छोड़ना, तंग करना, कष्ट देना.
  • मुहावरा--63.जीव लेनै न्हाटणो--जी लेकर भागना, प्राण बचाने के लिये भागना, कायरता प्रकट करना.
  • मुहावरा--64.जीव लैणौ--जी लेना, प्राण हरना, मार डालना.
  • मुहावरा--65.जीव लोटणौ--देखो 'जीव बावड़णौ'.
  • मुहावरा--66.जीव वाळौ--जी वाला, जानदार, साहसी, हिम्मत वाला, उदार.
  • मुहावरा--67.जीव वालौ लागणौ--जी प्यारा लगना, प्राण का मोह होना.
  • मुहावरा--68.जीव सूं (ऊं) जाणौ--जी से जाना, जान खो बैठना, प्राण-विहीन होना, मरना.
  • मुहावरा--69.जीव सूं बणणी--देखो 'जीव माथै आय नै पड़णी'.
  • मुहावरा--70.जीव सोरौ होणौ (ह्वैणौ)--रोग आदि की पीड़ा या बेचैनी न रहना। चैन पड़ना। आराम होना.
  • मुहावरा--71.जीव हवा होणौ (ह्वैणौ)--मृत्यु होना। प्राण निकल जाना.
  • मुहावरा--72.जीव हाथ में राखणौ, जीव हाथ में लैणौ--प्राण की परवाह न करना। जी का मोह न रखना। प्राण देने के लिये प्रस्तुत हो जाना। प्राण की बाजी लगाने के लिये तैयार हो जाना.
  • मुहावरा--73.जीव होमणौ--जी होमना। बलिदान हो जाना। प्राण या स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए कार्य करना.
यौ.
जीवजनावर, जीवजानवर, जीवतसंभ, जीवतसिंभ, जीवतांसंभ, जीवतौसंभ, जीवतौसंभू, जीवदांन, जीवदांनु, जीवधन, जीवपति, जीवबंधू, जीवमात्रका, जीवरखी, जीवरखौ, जीवसंभ, जीव-हत्या, जीवहिंसा, जीवाधार।
3.जीवधारी। इंद्रिय विशिष्ट शरीर। प्राणी। जैसे--मनुष्य, पशु-पक्षी आदि।
  • मुहावरा--1.जीव नै जीव जांणणौ--जी को जी जानना। प्राणी को प्राणी समझना। किसी को अधिक कष्ट नहीं देना। एक सा बर्ताव करना.
  • मुहावरा--2.जीव नै मारणौ--जी को मारना। प्राणी को मारना। बहुत कष्ट देना.
  • मुहावरा--3.जीव रौ जीव लागू, जीव रौ जीव हांणू--प्राणी प्राणी के पीछे पड़ता है। एक प्राणी दूसरे को मारता है। एक प्राणी का गुजारा दूसरे प्राणी को खा कर होता है जो उससे छोटा या कमजोर होता है। प्राणी प्राणी को हानि पहुँंचाता है।
यौ.
जीवधारी, जीवभासा, जीवलोक, जीवजूण, जीवजोण, जीवांजूण, जीवाजूण।
4.मन, दिल, तबियत, चित्त, हृदय।
  • मुहावरा--1.जीव आणौ--जी में आना। मन में बसना। किसी के प्रति स्नेह होना। किसी पर मन चलना.
  • मुहावरा--2.जीव उकताणौ--बहुत समय तक एक ही दशा में रहने से परिवर्तन के लिये चित्त का व्यग्र होना। मन का न लगना.
  • मुहावरा--3.जीव उखड़णौ--देखो 'जीव उकताणौ'.
  • मुहावरा--4.जीव उड जाणौ (उडणौ)--देखो 'जीव उकताणौ'.
  • मुहावरा--5.जीव उचकणौ--मन हटना। चित्त न लगना.
  • मुहावरा--6.जीव उचटना--मन में उचाट पैदा होना। चित्त विक्षिप्त होना.
  • मुहावरा--7.जीव उठाणौ--मन हटाना। चित्त फेर लेना। विरक्त होना। जी उठाना.
  • मुहावरा--8.जीव उलट जाणौ--चित्त चचंल होना। होश-हवास जाता रहना। मन फिर जाना। चित्त विरक्त होना.
  • मुहावरा--9.जीव ऊठणौ--मन हट जाना। मन न लगना। विरक्त हो जाना.
  • मुहावरा--10.जीव औचारणौ--मति पलट होना। धोका देना.
  • मुहावरा--11.जीव करणौ--जी करना। मन चलना। इच्छा होना। लालायित होना.
  • मुहावरा--12.जीव खपाणौ--जी तोड़ कर किसी कार्य में लगाना। जी खपाना। खूब मन लगा कर कार्य करना.
  • मुहावरा--13.जीव खराब करणौ--जी खराब करना। मन पर काबू नहीं पाना। मन चंचल करना.
  • मुहावरा--14.जीव खराब होणौ--मन का वश में नहीं रहना। अनुपयुक्त या अनुचित इच्छा होना। मन का स्थिर नहीं रहना।
  • मुहावरा--15.जीव (खट्टौ) खाटौ करणौ--मन हटा देना, चित्त विरक्त कर देना, घृणा उत्पन्न कर देना.
  • मुहावरा--16.जीव (खट्टौ) खाटौ पड़णौ--
  • मुहावरा--17.जीव (खट्टौ खाटौ होणौ--अनुराग न रहना, घृणा होना, मन फिर जाना, चित्त हट जाना.
  • मुहावरा--18.जीव खुलणौ--डर नहीं रहना, संकोच दूर होना, धड़क न रहना, किसी कार्य को करने में हिचक न रहना.
  • मुहावरा--19.जीव खोटौ--कपटी दिल का, धोखा देने वाला.
  • मुहावरा--20.जीव खोटौ करणौ--कपट करना, मन विचलित करना.
  • मुहावरा--21.जीव खोटौ होणौ--मति पलटना, मन में कपट आना.
  • मुहावरा--22.जीव खोल नै--जी खोल कर, बिना किसी डर के, बिना किसी हिचक या संकोच के, अपनी ओर से किसी प्रकार की कमी किये बिना, मनमाना, यथेष्ट.
  • मुहावरा--23.जीव गोता खाणौ--विचलित होना। डांवाडोल होना.
  • मुहावरा--24.जीव घबरांणौ--जी घबराना, मन का दुखी होना, कष्ट पाना, मन में व्यग्र होना, मन स्वस्थ नहीं रहना, जी ऊबना.
  • मुहावरा--25.जीव घालणौ--स्नेह करना, मन लगाना, तल्लीन होना, प्राण डालना, जीवित करना, जी डालना.
  • मुहावरा--26.जीव चलणौ--मन मोहित होना, इच्छा होना, जी चाहना.
  • मुहावरा--27.जीव चलाणौ--चाह करना, इच्छा करना, मन दौड़ाना, लालायित होना.हौसल बढ़ाना, हिम्मत बँधाना.
  • मुहावरा--28.जीव चालणौ--देखो 'जीव चलणौ'.
  • मुहावरा--29.जीव चुराणौ--किसी कार्य अथवा बात से बचने के लिए बहाना बनाना, हीलाहवाली करना, जी चुराना.
  • मुहावरा--30.जीव छिपाणौ--किसी कार्य अथवा बात से बचने के लिए अपने आपको छुपा लेना, इधर-उधर हो जाना, देखो 'जी चुराणौ'.
  • मुहावरा--31.जीव छोटौ करणौ--कंजूसी करना, उदारता छोड़ना, चित उदास करना, उत्साह कम करना.
  • मुहावरा--32.जी जांन ऊं लगाणौ--तल्लीन होकर लगना, पूर्ण ध्यान लगाना, मन से प्रवृत्त होना.
  • मुहावरा--33.जीव जांन लड़ाणौ--ध्यान लगाना, जुट जाना, दत्तचित्त होना.
  • मुहावरा--34.जीव जोग--विश्वासपात्र, जिस पर भरोसा किया जा सके.
  • मुहावरा--35.जीव झेलणौ--सब्र पकड़ना, धैर्य रखना.
  • मुहावरा--36.जीव टूटणौ--विरक्ति होना, उदासीनता होना, उमंग या हौसला न रहना.
  • मुहावरा--37.जीव टेकणौ--मन लगाना, किसी कार्य में दिलचस्पी लेना.
  • मुहावरा--38.जीव ठा माथै रै'णौ--मन स्थिर रहना, डांवाडोल न होना.
  • मुहावरा--39.जीव डूबणौ--चित्त व्याकुल होना, कुछ भय सा प्रतीत होना, बेचैनी होना, घबराहट होना, मूर्छा आना, बेहोशी होना, लीन होना, तल्लीन होना.
  • मुहावरा--40.जीव ढाईजणौ--जी बैठ जाना, जी अधीर होना, घबरा जाना, व्याकुल होना, विलाप करना, रुदन करना, कुछ भय सा प्रतीत होना.
  • मुहावरा--41.जीव ढोळणौ--स्नेह करना, प्रेम करना, बहुत प्यार करना.
  • मुहावरा--42.जीव तरसणौ--किसी इच्छा की पूर्ति न होने से दु:ख होना, अधीर होना, कष्ट पाना, लालायित होना.
  • मुहावरा--43.जीव तरसाणौ--किसी वस्तु के लिये लालायित करना, अधीर करना, कष्ट देना.
  • मुहावरा--44.जीव दूखणौ--हृदय को कष्ट पहुँचना, चित्त दुःखी होना.
  • मुहावरा--45.जीव दुखाणौ--हृदय को कष्ट देना, चित्त को व्यग्र करना.
  • मुहावरा--46.जीव दोरौ करणौ--इच्छा की पूर्ति नहीं होने के कारण चिंतित होना, किसी के अनुचित व्यवहार के कारण दुखी होना.
  • मुहावरा--47.जीव दोरौ होणौ--मन में घुटन होना, ऊबना.
  • मुहावरा--48.जीव दौड़णौ--मन चलना, चित्त का चंचल होना, किसी समस्या के हल के लिए जी का व्यग्र होना, लालसा होना, जी दौड़ाना।
  • मुहावरा--49.जीव नै नहीं भावणौ (लागणौ)--जी को अच्छा नहीं लगना, मन हट जाना.
  • मुहावरा--50.जीव नैनौ करणौ--देखो 'जीव छोटो करणौ'.
  • मुहावरा--51.जीव पिघळणौ--हृदय द्रवित होना, दया आना, दयार्द्र होना, प्रेम से हृदय का द्रवित होना, मन में स्नेह का संचार होना.
  • मुहावरा--52.जीव पीतळणौ--हृदय का (किसी पर ) अनुरक्त होना, मन मोहित होना, विचार बदलना, मति पलट जाना, मन में कपट का संचार होना.
  • मुहावरा--53.जीव फाटणौ--पहले का सा प्रेम-भाव न रहना, मन से निकल जाना, उदासीन हो जाना (किसी की ओर से) विरक्त हो जाना, भयभीत होना, डरना.
  • मुहावरा--54.जीव फिर जाणौ--मति पलट जाना, हृदय में कपट उत्पन्न हो जाना.
  • मुहावरा--55.जीव फिरणौ--देखो 'जीव फिरजाणौ' चक्कर आना, जी घबराना.
  • मुहावरा--56.जीव फीकौ पड़णौ--मन चिंतित होना, उदासीन होना; अरुचि होना; मन में ग्लानि आना; जी नहीं लगना।
  • मुहावरा--57.जीव बिगड़णौ--मति पलटना। इच्छुक होना। क्रोधित होना। घबराना। बेचैन होना। विचलित होना.
  • मुहावरा--58.जीव बिगाड़णौ--(हड़पने के लिये) मति पलटना। (खाने के लिये) इच्छुक करना या इच्छुक होना। क्रोधित करना। घबराना। बेचैन करना।
  • मुहावरा--59.जीव बैलणौ--किसी विषय मैं चित्त का आनन्दपूर्वक लीन होना। किसी कार्य में लग जाने से चित्त को शांति मिलना.
  • मुहावरा--60.जीव बैलाणौ--अपनी इच्छानुसार किसी कार्य में लगकर मन को प्रसन्न करना। मनोरंजन करना। दु:ख या चिंता की बात छोड़कर मन को किसी ओर प्रवृत्त करना.
  • मुहावरा--61.जीव बैलीजणौ--देखो 'जीव बैलणौ'.
  • मुहावरा--62.जीव भरीजणौ (भरणौ)--मन अघाना। संतुष्ट होना। आनन्द और संतोष होना। मन मानना। यथेष्ट। मनमाना। इतमीनान करना। विश्वास करना। चित्त गद्‌गद्‌ होना। करुणा का वेग उमड़ पड़ना। आँसू छलछला जाना। चित्त के किसी आकस्मिक आवेग से मन व्यग्र होना.
  • मुहावरा--63.जीव मर जाणौ.
  • मुहावरा--64.जीव मरणौ--उदासीन होना। निराश होना। हृदय का उत्साह समाप्त होना। मन में उमंग न रहना.
  • मुहावरा--65.जीव मारणौ--चित्त की उमंग शान्त करना। जी का उत्साह समाप्त करना.
  • मुहावरा--66.जीव मिळणौ--एक दूसरे के मन का विचार आपस में मिलना। एक मनुष्य के भावों का दूसरे मनुष्य के भावों के अनुकूल होना। मन पटना। स्नेह होना.
  • मुहावरा--67.जीव मिळाणौ--मेल कराना। एक दूसरे के विचारों का परस्पर समन्वय कराना। प्रेम कराना। मिलाना.
  • मुहावरा--68.जीव में आणौ--इरादा होना। जी चाहना। इच्छा करना.
  • मुहावरा--69.जीव में चुभणौ--चित्त में खटकना। अप्रिय लगना। हृदय पर अंकित होना.
  • मुहावरा--70.जीव में जीव घालणौ--किसी के विचारों को अपने अनुकूल करना.
  • मुहावरा--71.जीव में धारणौ--निश्चय करना। संकल्प करना.
  • मुहावरा--72.जीव में बैठणौ--चित्त में स्थान कर लेना.
  • मुहावरा--73.जीव में राखणौ--मन में रखना। मन में बसाना। ध्यान रखना। निरन्तर याद रखना। स्मृति में रखना.
  • मुहावरा--74.जीव मोटौ करणौ--सहनशील होना। उदार होना.
  • मुहावरा--75.जीव राखणौ--किसी का मन रखना, किसी की इच्छा पूरी करना, किसी को प्रसन्न करना, संतुष्ट करना.
  • मुहावरा--76.जीव री काडणी--मन की इच्छा पूरी करना;अपने हृदय की उमंग पूरी करना, किसी को भला-बुरा कह कर अपने उद्वेग को शान्त करना, प्रतिशोध लेना, जी की निकालना.
  • मुहावरा--77.जीव री जीव में रै'णी--मन की मन में रहना, इच्छा पूरी नहीं होना, सोचे हुए कार्य का पूरा नहीं होना.
  • मुहावरा--78.जीव रै'णौ--जी का नियंत्रण में रहना, जी का वश में रहना, जी पर काबू पाना।
  • मुहावरा--79.जीव रौ काचौ,
  • मुहावरा--80.जीव रौ चोदू--जी का संकुचित, कृपण, कंजूस.
  • मुहावरा--81.जीव रौ ताव काडणौ--मन के शोक, दुख, क्रोध आदि के कारण बक-झक करना.
  • मुहावरा--82.जीव रौ दलाल--जी का उदार; जो संकुचित दिल का न हो.
  • मुहावरा--83.जीव रौ दातार--जी खोल कर देने वाला, जी का उदार, जिसका हृदय संकुचित न हो.
  • मुहावरा--84.जीव रौ पोचौ--देखो 'जीव रौ काचौ'.
  • मुहावरा--85.जीव रौ बोझ हळकौ करणौ--मन में निरन्तर बनी रहने वाली चिंता को दूर करना, बेचैनी हटाना.
  • मुहावरा--86.जीव रौ बोझ हळकौ होणौ--ऐसी स्थिति या बात का दूर होना जिसकी चिंता लगातार रहती हो, खटका मिटना.
  • मुहावरा--87.जीव रौ बोदौ--देखो 'जीव रौ काचौ'। देखो 'जीव रौ मैलौ'.
  • मुहावरा--88.जीव रौ मैलौ--संकुचित भावों का, बुरे विचारों वाला, कृपण, कंजूस.
  • मुहावरा--89.जीव लगाणौ--जी लगाना; किसी कार्य में मन का प्रवृत्त होना, किसी कार्य को करने में लीन होना, किसी से स्नेह करना, प्रेम करना.
  • मुहावरा--90.जीव लड़ाणौ--सारा ध्यान केन्द्रित करना, पूरा ध्यान लगाना, प्राण जाने की परवाह न करना.
  • मुहावरा--91.जीव ललचावणौ--जी ललचाना, किसी चीज को पाने के लिए लालायित होना, तरसना, किसी के जी को लालायित करना, आकृष्ट करना.
  • मुहावरा--92.जीव लागणौ--मन का किसी विषय में लीन होना, चित्त का प्रेमासक्त होना, चित्त का प्रवृत्त होना, मन का तल्लीन होना.
  • मुहावरा--93.जीव लुभाणौ--मन मोहित करना। चित्त का आकृष्ट होना। जी लुभाना।
  • मुहावरा--94.जीव लूटणौ--मन मोहित करना। चित्त चुराना। मन आकृष्ट करना.
  • मुहावरा--95.जीव वधणौ--किसी के प्रति आस्था बढ़ना। किसी के प्रति अधिक मोह होना। साहस करना। हिम्मत करना.
  • मुहावरा--96.जीव वधाणौ--उत्साह दिलाना। हिम्मत कराना। किसी के प्रति आस्था बढ़ाना। किसी के प्रति मोह करना.
  • मुहावरा--97.जीव सूं--मन लगा कर । ध्यान देकर। पूर्ण रूप से दत्तचित्त होकर।
  • मुहावरा--98.जीव सूं उतर जाणौ--मन में स्थान न रहना। मन से निकल जाना। मन का हट जाना। उदासीन हो जाना (किसी के प्रति)
  • मुहावरा--99.जीव सूं जीव मिळणौ--मन से मन मिलना। मैत्री व्यवहार होना। परस्पर प्रीति होना.
  • मुहावरा--100.जीव हट जाणौ--देखो 'जीव सूं उतर जाणौ'.
  • मुहावरा--101.जीव हलाणौ--जी चलाना। मन चलाना। इच्छा करना.
  • मुहावरा--102.जीव हवा हो जाणौ--चित्त व्याकुल होना। डर के कारण चित्त का स्थिर न रहना.
  • मुहावरा--103.जीव हाथ में राखणौ--किसी को खुश रखने के लिये उसके भाव को अपने प्रति अच्छा रखना। मन को वश में रखना। हर समय चौकन्ना रहना.
  • मुहावरा--104.जीव हारणौ--निराश होना। हतोत्साहित होना।
  • मुहावरा--105.जीव हालणौ--मन चलना। जी चलना। इच्छा होना। मोहित होना.
  • मुहावरा--106.जीव हिलणौ--किसी वस्तु का चस्का लग जाने पर मन का बार-बार उसी ओर प्रेरित होना.
  • मुहावरा--107.जीव हिलणौ--चित्त का भय के कारण विह्वल होना। भयभीत होना। डाँवाडोल होना.
  • मुहावरा--108.दबिये जीव--किसी के दबाव के कारण मन के भावों का प्रकट न होना। दबे रहना। इच्छाओं की पूर्ति न कर सकना.
  • मुहावरा--109.नैनौ जीव करणौ--देखो 'जीव छोटौ करणौ'.
  • मुहावरा--110.साचा जीव सूं--मन लगा कर। सच्चे दिल से। तल्लीन हो कर। मन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रख कर।
यौ.
जीव-जोग।
5.वह स्थान जहाँ पर चोट लगने से मृत्यु होने की आशंका रहती है। शरीरस्थ मर्म-स्थान।
  • मुहावरा--जीव री लागणी--मर्मस्थान पर प्रहार होना। चोट लगना।
6.बृहस्पति। सुर-गुरु (अ.मा.)
7.खाट के मध्य की उन सूतलियों का समूह जिनके आधार पर खाट की बुनाई की जाती है.
8.नौ तत्वों में से प्रथम तत्व (जैन)
9.सात द्रव्यों में से एक द्रव्य (जैन)
10.बल, पराक्रम (जैन)
रू.भे.
जिव, जीअ, जीउ, जीऊं, जीवण, जीय।
अल्पा.
जिवड़ौ, जीवड़लौ, जीवड़ौ।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

Project | About Us | Contact Us | Feedback | Donate | संक्षेपाक्षर सूची