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जेठ     (स्त्रीलिंग--जिठांणी, जेठांणी)  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
वि.
सं.ज्येष्ठ
बड़ा, ज्येष्ठ। सं.पु.(स्त्री.जिठांणी, जेठांणी)
1.पति का बड़ा भाई।
  • उदा.--बच्छे! सासुरा तणी इसी स्थिति जांणवी, सुसरउ उवेखइ, जेठ नीचउं देखइ, वर पुण लडइ, देवर नडइ, जेठांणी कुसइ, देअरांणी हसइ, नणंद नरनरावइ, सासु कांम करावइ।--व.स.
2.हिन्दी वर्ष का तीसरा मास, ज्येष्ठ (डिं.को.)
  • उदा.--महमूद माह सूरज प्रमांण। जेठ रौ अरक अभमाल जांण।--विड़द सिंणगार
3.ज्येष्ठा नक्षत्र।
अल्पा.
जेठड़ौ, जेठूड़ौ। मह.--जेठल।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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