1.देखो 'जोगणी' (रू.भे., डिं.को.)
- उदा.--1..जमला मैं जोगण भई, पै'रै म्रग की खाल। बन बन सारौ ढूंढ़ियौ, करत जमाल जमाल।--रसराज
- उदा.--2..बीर नाच रहिया छै। जोगण ढाक बजावै छै। छप्पर भरै छै।--सूरै खींवै कांधळोत री वात
- उदा.--3..धर अंबर रज डंबर अंधारां। जोगण करि चवसठि जैकारां।--सू.प्र.
- उदा.--4..यौ गहणौ यौ बेस अब, कीजै धारण कंत। हूँ जोगण किण कांम री, चूड़ा खरच मिटंत।--वी.स.
- उदा.--5..झूरै रे म्रिगनैणी झूलर, मेह तणी परि मोरां। जोगण पीठ दियां सहजादी, घूमरि, घूमरि ऊपरि धोरां।--अमरसिंह राठौड़ रौ गीत
2.ज्वार की फसल का एक रोग विशेष जिससे ज्वार के भुट्टों पर जटा के समान बाल वाला पदार्थ निकलता है और दानों के स्थान पर राख निकलती है।