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जोध  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
सं.योध:
1.योद्धा, शूरवीर, सुभट, वीर (डिं.नां.मा.)
  • उदा.--1..आइस्यै जाइ साथि सु चढ़ि चढ़ि आया, तुरी लाग ले ताकि तिम। सिलह मांहि गरकाब संपेखी, जोध मुकुर प्रतिबिंब जिम।--वेलि.
  • उदा.--2..धड़ ऊपर सिर धारियौ, जोध भलौ जगदेव। काट कंकाळी अप्पियौ, कीधौ देव अदेव।--बां.दा.
यौ.
जोधगुर, जोधगुरू, जोधविद्या।
2.बेटा, पुत्र (अ.मा.)
  • उदा.--दूसासेण माथ रौ क्रतांत रोध धायौ दूठ, जेठो पाराथ रौ, किनां 'भारात' रौ जोध।--हुकमीचंद खिड़ियौ
3.भैरव.
4.देखो 'जोधौ' 2 (रू.भे.)
5.देखो 'जोधा' (रू.भे.) वि.--जवान, युवा।
  • उदा.--चवदै बरस री पिया, परणिया जी कोई, हो गइ जोध, हो गई जोध-जवांन, हांजी ओ ढोला जोध-जवांन, अब घर आवौ, गोरी रा वालमा हो जी।--लो.गी.
यौ.
जोध-जवांण, जोध-जवांन, जोध-जुआंण, जोध-जुआंन।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






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