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झंकार  
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.स्त्री.
सं.
1.धातु खण्ड से निकला हुआ झनझनाहट का शब्द, झनकार।
  • उदा.--सुणीजै अलंकार झंकार स्रूतां। हुवै नींद बिक्षेप ताकीद हूंतां।--मे.म.
2.भ्रमर, झींगुर आदि के बोलने की ध्वनि।
  • उदा.--रितिराज प्रगटीऔ छै। वसंत आयौ छै। भमर, मधुकर झंकार करी रहिया छै।--रा.सा.सं.
3.झनझनाहट होने का भाव।
रू.भे.
झणंक, झणंकार, झणकार, झनकार, झमकार, झमकारू।


नोट: पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।






राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास

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