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झब, झबक
शब्दभेद/रूपभेद
व्युत्पत्ति
शब्दार्थ एवं प्रयोग
सं.पु.
1.समय का वह भाग जो एक माना जाय, मरतबा, दफा, बार।
उदा.--
ढोलउ हल्लांणउ करइ, धण हल्लिवा न देह।
झबझब
झूंबइ पागड़इ, डबडब नयण भरेह।--ढो.मा.
मुहावरा--
झब-झब, झबक-झबक, पुन: पुन:, बार बार।
2.रह रह कर प्रकाश के घटने-बढ़ने की क्रिया, ज्योति की अस्थिरता, झिलमिलाहट।
उदा.--
घिर-घिर घूमर रमती, रुकती थमती बीज चमकती,
झब-झब
पळका करती, भंवती आवै बिरखा बींनणी।--चेत मांनखा
यौ.
झब-झब, झबक-झबक। क्रि.वि.--शीघ्र, तुरन्त। ज्यं--वा झब देती री आई नै टाबर नै कड़ियां लियौ।
उदा.--
वडी तौ आया जी ल्होड़ी के प्यारा पांवणा, आडी तौ मेलां, जी वडी जी, थांनै आडणी,
झबक
परोसांगा थाळ।--लो.गी.
रू.भे.
झप, झपक, झबक, झबर, झम।
नोट:
पद्मश्री डॉ. सीताराम लालस संकलित वृहत राजस्थानी सबदकोश मे आपका स्वागत है। सागर-मंथन जैसे इस विशाल कार्य मे कंप्युटर द्वारा ऑटोमैशन के फलस्वरूप आई गलतियों को सुधारने के क्रम मे आपका अमूल्य सहयोग होगा कि यदि आपको कोई शब्द विशेष नहीं मिले अथवा उनके अर्थ गलत मिलें या अनैक अर्थ आपस मे जुड़े हुए मिलें तो कृपया admin@charans.org पर ईमेल द्वारा सूचित करें। हार्दिक आभार।
राजस्थानी भाषा, व्याकरण एवं इतिहास
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