सं.स्त्री.
सं.झट्
1.प्रहार, चोट।
- उदा.--इम वागा लाग असमांणां। कूंता धमक झाट केवांणां।--सू.प्र.
2.आघात, टक्कर, चोट।
- उदा.--1..लोहरां लंगरां झाट लाग। अधफरां गिरां तर झड़ै आग। मेवास तूटगा मगज मेट। फूटगा गिरंद हैताळ फेट।--वि.स.
- उदा.--2..तोपां धर दरजां पड़ै, झड़ै गिरां सिर झाट। जांणै सागर खीर रै, मंदर रौ अरराट।--वी.स.
3.मुकाबिला, टक्कर।
- उदा.--1..म्हांरी राड़ छै काळ री झाट सी रांणोजी अरु सुखौ अै भी महां सूं टाळौ दै छै।--प्रतापसिंघ म्होकमसिंघ री वात
- उदा.--2..बीरां के बीर, सागर के धीर। नाहर के थाहर, लोह की लाट। जंगू के जालम, जम की सी झाट। लावा के किले में ऐसे रजपूत, सार के संगर बळ के मजबूत।--ला.रा.
- उदा.--3..मूंघा हालरा उगेर, व्रथा पालणै हिंडया मात। पोखै केण कारणै, जिवाया थांनै पीव। लोका लाज धारणै, फिरंगी हूंत झाट लेता। जै'र खाय धणी रै, वारणै देता जीव।--दलजी महड़ू
4.भिड़न्त। क्रि.प्र.--होणी।
5.झपट, चपेट।
- उदा.--तठा उपरांत करि नै राजांन सिलामति बाज, कुही, सिकरा, सींचांण, जुररा, तुरमती, हुसनाकां, सारवानां रा हाथां ऊपरा सूं सगगाट करता छूटै छै। वाइ पंखरा जोर सूं नीला घास धरती सूं लपट नै रहिआ छै। आसमांन रै फेर जितरा जिनावर चिड़ी, कमेड़ी झाट मांही आवैछै।--रा.सा.सं.
6.युद्ध, लड़ाई, भिड़त।
- उदा.--1..हे सखियां उठै ठिकांणा में भड़नै घोड़ा सुहंगा हा सो एक आदमी सूं झाट उडतां (युद्ध होतां) भड़ नै घोड़ा मुहंगा होय गया।--वीर सतसई की टीका
- उदा.--2..घेरौ घेरौ सह कहै, मुंहंडै चढ़ै न कोय। डाढ़ाळै री झाट में, सारा रहिया जोय।--डाढाळा सूर री बात
7.चपत, तमाचा। क्रि.प्र.--पड़णी, लागणी।
8.झड़ी।
- उदा.--इसी करतौ गुण झाट उपाट। झड़ै खळ खेलि तसी खग झाट।--सू.प्र.
10.ध्वनि, आवाज।
- उदा.--1..कपड़ा काळा कीट, नीठ ऊंठ ऊठ निरोधै। मींट अमल रै मांय सींठ कुचरै जूं सोधै। भले न उतरै भींट धीठ जद सीस धुणावै। प्रात झाट पाद री साट पांवडा सुणावै। कर कांम इसौ मांनै कुसळ, लाज न आवै लेस री। अमलियां करि देखौ अबै, दुसह दसा इण देस री।--ऊ.का.
- उदा.--2..हाकां वीर कळह पुन हड़-हड़। रिण चांमंड घण घेर रची। पळचर नहराळां पंखाळां। माचि झड़ापड़ि झाट मची।--दूदौ
क्रि.प्र.--पड़णी, लागणी, होणी।
क्रि.प्र.--दैणी, पड़णी, लागणी।
क्रि.प्र.--करणी, मचणी, सुणणी।